आपको पता होगा ही कि मार्केट में मिलने वाली चीजें ज्यादातर चाइना में ही बनती हैं।
Dipawali हम मनाते हैं लेकिन जो लाइट हम यूज करते हैं वो चाइना से आती है।
तो आप की बताइए कि चीन भारत या फिर दूसरे देशों पर कितना निर्भर है। अब भारत में धीरे-धीरे प्रोडक्शन बेस बढ़ रहा है। भारत खुद चीजें बना रहा है। अब मोबाइल फोन यहीं बन रहे हैं तो कपड़े भी।
भारत में बढ़ रहे पोडक्शन बेस की वजह से चीन के पसीने छूट रहे हैं।
Dipawali हम मनाते हैं लेकिन जो लाइट हम यूज करते हैं वो चाइना से आती है।
तो आप की बताइए कि चीन भारत या फिर दूसरे देशों पर कितना निर्भर है। अब भारत में धीरे-धीरे प्रोडक्शन बेस बढ़ रहा है। भारत खुद चीजें बना रहा है। अब मोबाइल फोन यहीं बन रहे हैं तो कपड़े भी।
भारत में बढ़ रहे पोडक्शन बेस की वजह से चीन के पसीने छूट रहे हैं।
ग्लोबल टाइम्स के आर्टिकल में चीन सरकार से कहा गया है कि बीजिंग को अपने इकोनॉमिक राइवल भारत में प्रोडक्शन बेस शिफ्ट होने के चलते कम हो रही नौकरियों को लेकर विचार करना चाहिए। भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी के रूप में उभरा है। ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि अब भारत-चीन के बीच इकोनॉमिक कॉम्पिटीशन नए दौर में पहुंच सकता है। ‘‘जिस तरह चीनी कंपनियां भारत में अपनी एसेम्बली लाइन लगा रही हैं। इससे दोनों देशों के बीच इकोनॉमिक कॉम्पिटीशन नए दौर में पहुंच सकता है।
हुवावे ने MOBILE के लिए सबसे तेजी से उभरते MARKET INDIA में PRODUCTION फैसेलिटी शुरू कर स्मार्टफोन वेंडर्स में हलचल पैदा कर दी है। यदि MOBILE कंपनी INDIA SHIFT हो जाती हैं तो इससे CHINA में नौकरियां कम होती जाएंगी।
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